भगवान जगन्नाथ जी की 144वीं रथयात्रा से इस साल कोरोना महामारी के चलते नगरचर्या पर निकलेगी या नहीं, यह अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन भगवान मोसाल सरसपुर रणछोड़राय मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई हैं.
इस वर्ष भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा को महाराष्ट्रीयन शाही अंदाज का वाघा अर्पित किया जाएगा. महाराष्ट्र की हरी पगड़ी जिसमें पत्थर का काम, जरदोशी का काम, मोती का काम और दर्पण का काम किया गया है और भगवान को आभूषण भी शाही अंदाज में चढ़ाए जाएंगे.
क्या इस साल होगी रथ यात्रा? इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं हुई है
भगवान वाघा के लिए सफेद और नीले रंग का प्रयोग किया गया है.भगवान के कलात्मक वाघा के लिए ऑर्डर दे दिए गए हैं. हर साल जब भतीजा मोसल आता है तो मोसल पक्ष के लोग इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि वह खाली हाथ न लौटे.सरसपुर के लोग भगवान की स्तुति कर रहे हैं और इस वर्ष भी 144वीं रथयात्रा के लिए मोसल में भगवान जगन्नाथजी का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं.
बिना भक्तों के की गई भगवान की पूजा
पिछले साल कोरोना महामारी के चलते भगवान जगन्नाथ जी की ऐतिहासिक 143वीं रथयात्रा मंदिर परिसर के बाहर आयोजित की गई थी.रथयात्रा से पहले जमालपुर जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदासजी, ट्रस्टी महेंद्रभाई झा और गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने रथ की पूजा की. पूजा भक्तों के बिना केवल कुछ ही लोगों की उपस्थिति में की गई थी.