धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा-अर्चना का एक अहम हिस्सा दूध है. शिव के रुद्राभिषेक में दूध का विशेष प्रयोग होता है.
क्यो करना चाहिए दूग्धाभिषेक
जो व्यक्ति सांसारिक मोह माया से मुक्ती चाहता है और शिव की चरणों में स्थान पाना चाहता है उसे महाशिवरात्रि के दिन गंगाजल-दूध से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए.
हिंदू पुराणो अनुसार शिवलिंग का दूध से रुद्राभिषेक करने से इंसान की सभी इस्छाओं की पूर्ण होती है. सोमवार के दिन दूध का दान करने से चन्द्रमा मजबूत होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी ने चंद्र को अपने मस्तष्क पर धारण किया है.
क्या है शिवलिंग पर दूध चडाने का महत्व
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का रहस्य सागर मंथन से जुड़ा है. कथा के समुद्र मंथन से सबसे पहले जल का हलाहल विष निकला. उस विष की ज्वाला से सभी देवता तथा दैत्य जलने लगे और उनकी कान्ति फीकी पड़ने लगी. इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर की प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना पर महादेव जी उस विष को हथेली पर रख कर उसे पी गये किन्तु उसे कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया. उस कालकूट विष के प्रभाव से शिव जी का कण्ठ नीला पड़ गया. इसीलिए महादेव जी को नीलकण्ठ कहते हैं.
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कहते हैं इस विष का प्रभाव भगवान शिव और उनकी जटा में बैठी देवी गंगा पर भी पड़ने लगा. यह देखते हुए देवी-देवताओं ने भगवान सिव से से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. शिव ने जैसे ही दूध ग्रहण किया, उनके शरीर में विष का असर कम होने लगा. बस तभी शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.